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Suriya

शहर में निकला ग्रीन वाइन स्नेक, देखने के लिए लगी भीड़

कोडरमा जिला के झुमरी तिलैया शहर के पास इलाके में अचानक ग्रीन वाइन स्नेक निकला। इस सांप को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। गर्मी और बारिश के बीच शहर से गांव तक सांपों का निकलना शुरू हो गया है। झारखंड के कोडरमा जिला में आमतौर पर हर वर्ष दर्जनों लोग जहरीले सांप के शिकार बनते हैं। ऐसे में इस मौसम में लोगों को सचेत रहने की जरूरत है। झुमरी तिलैया शहर के एक पास इलाके में ग्रीन विन स्नेक लोगों के लिए कौतूहल बन गया। इस नायाब सांप को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। स्थानीय युवक ने इसे पड़कर जंगल में छोड़ा। यह सांप आमतौर पर पेड़ों में हरी पत्तियों के बीच पाए जाते हैं इसे पहचाना बेहद मुश्किल होता है। हालांकि जानकार के अनुसार यह काम जहरीला होता है।

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पवन सिंह को उपेंद्र कुशवाहा के कार्यकर्ता का करारा जवाब

पवन सिंह उपेन्द्र कुशवाहा जी पर कटाक्ष करते हुए बोलता है •~ " ध्यान न देबा विकास के काम पर त कब ले जीताइ मोदी जी के नाम पर " सुनो पवन सिंह जिस वक़्त तुम " रातें दिया बूता के पिया क्या-क्या किया " जैसे समाज के शर्मसार करने वाले गाना लाकर मोटी रकम कमा कर अपने शरीर के चर्बी बढ़ा रहे थे न उस वक़्त उपेन्द्र कुशवाहा जी काराकाट लोकसभा में गरीब परिवार के बच्चे , जिनका सपना होता है अँग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ने का लेकिन पैसा के कारण नहीं पढ़ पाते है उनके लिए उपेन्द्र कुशवाहा जी केंद्रीय विधालय खुलवा कर गरीब परिवार के बच्चे के अरमानो को पूरा कर रहे थे। जिस वक़्त तुम चोली - चड्डी पर गाना लाकर सरेआम भोजपुरी जैसे मीठे शब्दों को तार-तार कर रहे थे तब उपेंद्र कुशवाहा जी काराकाट में गरीब परिवार के बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए एक और केंद्रीय विधालय खुलवा रहे थे यहां तक की केंद्रीय विधालय खुलवाने का काम सिर्फ अपने क्षेत्र काराकाट में ही नहीं ब्लकि बिहार और देश के विभिन्न राज्य में खुलवाने का काम किए और काराकाट के देवतुल्य जनता उपेन्द्र जी पर गौरवांवित महसूस कर रही थी की हमने एक ऐसा सांसद चुना जो हमारे बच्चे के साथ-साथ संपूर्ण देश के बच्चे के भविष्य निर्माण का काम कर रहा हैं। दशकों से बंद पड़े डालमिया नगर कारखाना को पुनः जीवनोद्धार के लिए संसद में बिहार सहित देश के किसी नेता ने सर्वप्रथम बार आवाज उठाया तो वो उपेन्द्र कुशवाहा जी ही है और इनके पहल को ध्यान में रखते हुए मोदी जी के सरकार ने कारखाना शुरू करने पर पहल किया । देश में कई ऐसे सांसद है जिनके सालों के संसदीय कार्यकाल में जनता के बीच जाने के लिए अपने द्वारा किया गया एक काम नजर नहीं आता है लेकिन उपेन्द्र जी के 05 साल के कार्यकाल में इतना काम है की जनता के बीच सर उठा कर जाएंगे भी वोट भी मांगेंगे व जनता वोट भी देंगे और प्रचंड बहुमत से जीतेंगे भी । जिस वक़्त तुम्हारे कारण तुम्हारी बीबी कोर्ट-कचहरी के दौरा कर रही थी तो वहीँ भोजपुरी इंडस्ट्री की एक महिला कलाकार तुम्हारे धोखा के शिकार होकर रो रहीं थीं न्याय के लिए दर-दर भटक रहीं थीं तब उपेन्द्र कुशवाहा भारत के संसद भवन में माइक से collegium system के खिलाफ दहार रहे थे ताकि सभी जाति-मजहब के बच्चे यूपीएससी के द्वारा प्रायोगिक परीक्षा पास कर भारत के मुख्य - न्यायाधीश , न्यायाधीश बन सके यही नहीं collegium system के खिलाफ सत्ता में रहते हुए अपने पद के प्रवाह किए बगैर ज़न-ज़न के बीच जाकर आंदोलन कर रहे थे और collegium system जैसे कानून के बारे बिहार के चौक-चौराहे पर लोगों को समझा रहे थे । उपेन्द्र कुशवाहा जी अपने राजनीतिक जीवन के लगभग पूरे समय NDA Alliance के साथ रहकर राजनीतिक किए तो जाहिर सी बात है वे एनडीए सरकार के विकास के आधार पर भी जनता से वोट मांगेंगे ,नरेंद्र मोदी जी पूरे देश के नेतृत्व कर रहे है मतलब नरेंद्र मोदी जी एनडीए गठबंधन के कप्तान है और कप्तान के नेतृत्व में चुनाव हो रहा है तो कप्तान की बात तो होगी ही । उपेन्द्र कुशवाहा जी अपने बड़े भाई और बिहार के विकास पुरुष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नाम पर भी वोट मांगेंगे क्योंकि नीतीश कुमार जी एनडीए गठबंधन में है और नीतीश जी द्वारा किया गया काम से बिहार के गरीब, पिछड़ा, दलित,अल्पसंख्यक महिलाएं अच्छी तरह से वाकिफ़ है । नीतीश जी के सात निश्चय योजना (0.1 & 0.2 ) से बिहार में कितना विकास हुआ है ये हमारे माताएं - बहनें अच्छी तरह से समझ रही है,बिहार का क्या दशा-दुर्दशा था नीतीश जी से पहले ये भला कौन नहीं जनता है। पवन सिंह आसनसोल से भागकर काराकाट आए लेकिन इसको को ढंग से काराकाट चौहद्दी पता नहीं होगा, काराकाट लोकसभा में कितना प्रखंड है ये पता नहीं होगा जो इंसान अश्लील गायकी से सीधा राजनीतिक के चौसर पर आकर बैठ शोर-शायरी कर काराकाट के जनता को दिग्भ्रमित करने के कोशिश में है और इसका ये नियत को काराकाट के जनता अच्छी तरह से समझ रही है की ये विपक्षी गठबंधन के प्याला बनकर वोट कटवा के भूमिका निभा देश-राज्य और काराकाट के जनता के विकास में बाधा बनना चाहता है लेकिन हमारे देवतुल्य जनता सब समझ रही है ये अपना ज़मानत बचाने लायक नहीं रहेगा। फिर एक बार बोल रहा हूं उपेन्द्र कुशवाहा जी के पास जनता के बीच जाकर समर्थन स्वरूपी वोट मांगने के लिए ~ " मोदी जी का गारंटी है, नीतीश जी के निश्चय है , उपेन्द्र जी को अपने काम पर उम्मीद है " तो वही विपक्ष के पास खलबलाहट - बिलबिलाहट और जंगलराज के खौफनाक मंजर है तो किसी के पास अश्लील फूहड़ गाने के भंडारा है...।

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बिहार का सबसे चर्चित लोकसभा काराकाट का अपडेट

बैसाख की गर्मी चढ़ने के साथ चुनावी गर्मी ने देश में एक अलग किस्म की गर्माहट पैदा कर दी है. टप टप चूते पसीने के बीच समर्थकों के जिंदाबाद के नारे नेताओं के मिजाज को हरियर बना तो रहे लेकिन पेशानी पर शिकन भी ला रहे. संसद के एक सदन राज्यसभा आमतौर पर बुद्धिजीवियों,लेखकों,कलाकारों,समाजसेवियों जैसे लोगों के लिए "आरक्षित" होते थे. मगर बढ़ती आमद,असमय बढ़ते रसूख और सत्ता की बढ़ती हनक ने सबके अंदर लोकसभा से सदन पहुंचकर अपनी लोकप्रियता साबित करने की ललक जगा दी है. कुछ ऐसा ही काराकाट में पवन सिंह की "लैंडिंग" से लगता है. हेलीकॉप्टर प्रत्याशी के तौर पर उतरे पवन सिंह काराकाट से अपनी उम्मीदवारी देकर लोकसभा क्षेत्र में मनोरंजन की बयार बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे ऐसा ही कुछ लगता है. सिलेब्रिटी की जीवन शैली से हर कोई वाकिफ है. एसी की हवा और रात की "दवा" के बिना नींद नहीं आने की शिकायत करते डॉक्टरों के पास पहुंचने वाले इन सेलेब्रिटीयों को लगता है कि अपनी लोकप्रियता के दम पर वो लोकसभा जैसा प्रतिष्ठित चुनाव ऐसे निकाल लेंगे जैसे महुआ के पेड़ के खोल से हम तोते के बच्चे को कभी बचपन में निकाल लाया करते थे. वैसे तो बिहार में राजनीति की बिसात जातियों के चौसर पर ही बिछती है लेकिन उपेंद्र कुशवाहा नाम का यह शख्स जब चुनाव मैदान में उतरता है तो उसके सामने जाति की बात बड़ी ओछी लगने लग जाती है. देश में सर्वप्रथम जब उन्होंने कोलेजियम के तहत सभी गरीब सवर्णों,ओबीसी,दलितों,अल्पसंख्यकों के हितों की बात सार्वजनिक मंचों से सीना ठोककर कहीं तब ऐसा कभी नहीं लगा कि वो किसी जाति विशेष के नेता रहे हैं.पढ़ाई कमाई दवाई के मुद्दे को लेकर राजनीति करने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने जब पटना की सड़कों पर पुलिस की लाठियां खाते हुए अपने सर फुडवाए तब भी उस आदमी के चेहरे पर शिकन नहीं थी. संघर्ष के दरम्यान भी मुस्कान के साथ मिलने वाले उपेंद्र कुशवाहा के पास जनता के बीच जाने के लिए कई सारे मुद्दे हैं,उपलब्धियां हैं,तरकश में तीर हैं,जनता के हितों के लिए संघर्षों के दरम्यान कभी न भूल सकने वाली आवाजें हैं,भाषणों के अंश हैं जिन्हे आप सुनकर उनमें एक जननेता का दर्शन अनुभव कर सकते हैं. दूसरी तरफ अपनी एक्टिंग और फूहड़ गायन से भोजपुरी जैसी मीठी भाषा को बदनाम करके अपनी जेब भरने वाले पवन सिंह के पास उपलब्धि के नाम पर ढोरी चटना बा,चोलिया में मलाई,दिया बुता के पिया क्या क्या किया जैसे विकासशील गाने हैं,जिन्हे लेकर पवन जनता के बीच जायेंगे तब यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि जनता ढोरी चाटना और चोलिया में मलाई पर वोट देती है या फिर कोलेजियम जैसे मुद्दे उठाने वाले उपेंद्र कुशवाहा के संघर्षों पर.

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